Footpath People Hindi Kavita

Footpath People Hindi Kavita – फुटपाथ के लोगो पर कविता

फुटपाथ पर बहुत सारे लोग रहते हैं। वहां पर रह रहें लोगो की ज़िन्दगी में बहुत सारी परेशानियां रहती हैं। उनकी ज़िन्दगी के दुखो और उलझनों को दर्शाती ये कविता है Footpath People Hindi Kavita

इन् लोगो के लिए सरकार में बैठे हुए लोगो को कुछ करना चाइये। लेखक ने उनके दुखो को बहुत करीब से देखा और समझा और फिर इस कविता की रचना की। उम्मीद करते हैं कि Footpath People Hindi Kavita आपको पसंद आएगी। 



Footpath People Hindi Kavita

Footpath People Hindi Kavita – फुटपाथ के लोगो पर कविता

 

शाम ने गेसूं खोल दिए है , चीख रहीं है तेज हवाएं
पूरी सर्दी का आलम है ठण्ड से तारे कांप रहे हैं

सड़क किनारे मैं बैठा हूँ
और बराबर देख रहा हूँ

दोनों तरफ कोठियां ऊँची , घर-घर ड्राइंग रूम सजे हैं
चिकने-चुपड़े,मोटे-ताजे , लोग नशे में गिरते – पड़ते
अब कारो से उतर रहे हैं ||

सजे हुए सुन्दर कमरों में , ऊनी बिस्तर बिछे हुए हैं
ये मोटे,दुनिया के मालिक,चुप-चुप इनमे खिसक रहे हैं

फिर सर्दी की क्या मजाल है, जो इनको छू तक भी जाये
इधर सड़क के फुटपाथ पर,ऊपर – नीचे लोग पड़े हैं
नंग – धड़ंगे , दुर्बल काया , एक दूसरे में सिमटे हैं
इसका तन उसका कपड़ा हैं , उसका तन इसका कपड़ा है

बूढ़े भी है,और बच्चे भी , कुछ मातायें कुछ बहने हैं
ये मेहनतकश लोग हैं सारे,इनमे कुछ कपड़ा बुनते हैं

कुछ इमारत के कारीगर , कुछ ऐसे हैं लूले – लंगड़े
दिन भर भीख के टुकड़े मांगे , शाम को आकर लेट गए हैं

इनको शब् भर याद खुदा की , शायद इनकी मजबूरी है
या फिर वो यकीन है जिसको , दिल से लगाए ठिठुर रहे हैं

सड़क किनारे मैं बैठा हूँ , देख चूका अब सोच रहा हूँ
ये दुनिया कैसी दुनिया है , इस अंतर का कारण क्या है
जो है मेहनतकश बेचारे , दिन भर धुप में शिद्दत सहते
रात में नंगे जिस्म ठिठरते , मेहनत करते , भूखा मरते

शहर भी इनके, गांव भी इनके , मुल्क भी इनका , दुनिया इनकी
पर ये कहने की बातें है , यूँ तो इन् पर भी आंखें हैं
इन्हे कोठियां साफ़ दीखती , पर किस्मत के अंधेपन ने
सारे मंजर छीन लिए हैं नको ये मालूम नहीं है

दौलत पर इनका भी हक़ है , ये इनकी मेहनत का फल है
देश में कुछ गद्दार लुटेरे , फ़र्ज़ को अपना भूल रहे हैं
बंगले में गाँधी का फोटो , दिल में नाथू राम गोडसे
इन्हे गरीबों से क्या लेना , इनके अपने पेट बड़े हैं
ये ज़माना ,कब बदलेगा , कब कोई , लीडर आएगा

कब इनको सुख , चैन मिलेगा
सड़क किनारे मैं बैठा हूँ
देख रहा हूँ , सोच रहा हूँ

 




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